This is the concluding part of Barbarik’s story where we explore the evidences and reason’s as to why Barbarik’s story is not only NOT authentic but doesn’t match the core essence of the epic.
आज बर्बरीक के दूसरे और अंतिम अध्याय में हम समझने का प्रयत्न करेंगे कि क्यों न सिर्फ उसकी काथा प्रामाणिक नहीं है वरन वो महाभारत के मूल दर्शन का भी खंडन करती है।
क्या अपने महाभारत के उस महान योद्धा और उसके तीन तीरों की कहानी सुनी है जो पल भर में ही महाभारत के महायुद्ध को समाप्त कर सकता था? फिर क्या हुआ उस युद्धा का और उसके महान तीरों का? क्यों कुरुक्षेत्र का युद्ध 18 दिनों तक चलता रहा? क्या सत्य ही था ऐसा कोई योद्धा? क्या सही क्या नहीं? आज चर्चा करेंगे उसी बहुचर्चित काथा पर और परखेंगे उसे, प्रामाणिक संदर्भों की कसौटी पर, परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर और व्यावहारिक समझ पर।
About the Author/Presenter
Vivek Dutta Mishra, is the best-selling author of Amazon #1 best-seller The Accursed God, an epic fiction based on Mahabharata. His upcoming collection of Hindi poetry Manasa is also based on Mahabharata. With over three decades of research of authentic and ancient Indian epics, this series is an attempt to thwart the distortive narrative sorrunding the great ancient epic that is a mirror to the great anicient Indian civilzation.
विवेक दत्त मिश्रा महाभारत पर आधारित बहुचर्चित उपन्नयास The Accursed God के लेखक हैं जो Amazon पर #१ होने का गौरव प्राप्त कर चुका है। महाभारत पर ही आधारित उनका हिंदी में महाकाव्य मानस शीघ्र प्रकाशित होने जा रहा है। अपने तीन दसक से भी अधिक समय के भारतीय प्राचीन ग्रंथों पर शोध को आधार बना का इस श्रंखला का उद्देश्य है हमारे प्राचीन संस्कृति को विकृत करने के प्रयास का प्रतिउत्तर देना, उन काल्पनिक कथानकों का खंडन जो भारतीय संस्कृति को दीमक की तरह खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं।